मैं जिस दिन भुला दूँ तेरा प्यार दिल से

>> 09 April 2009

आप सभी ने मेरी अब तक कवितायेँ और कहानियाँ पढ़ी .... आपको मैं ये बताना चाहता हूँ कि मैं गाने का भी शौक रखता हूँ ...मेरी आवाज़ में गया हुआ ये गीत सुनिए और अगर आ सके तो आनंद उठाइए ...जब भी समय मिले तब सुन लीजिये ....आप सभी की टिप्पणियों का इंतजार रहेगा कि आपको मेरी आवाज़ कैसी लगी ...नीचे के लिंक (बटन) पर क्लिक करके आप सभी ये गाना सुन सकते हैं .....हाँ आवाज़ थोडी ज्यादा करके सुनना ...धीमी आवाज़ में ज्यादा मज़ा नहीं आएगा :) :)
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suno na --suno na sun lo na
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मैं जिस दिन भुला दूँ
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25 comments:

Himanshu Pandey 9 April 2009 at 12:12  

गाना सुनते हुए टिप्पणी कर रहा हूं । आवाज अच्छी है । और भी गाने इसी तरह सुनाते रहिये ।

Unknown 9 April 2009 at 12:12  

अनिल भाई , और कोशिश की जरूरत है , ठहराव में कहीं कहीं कमी है । आपको ओडासिटी साप्टवेअर से इस गीत को अगर संगीतमय करके प्रस्तुत करते तो और भी मजेदार बन जाता । प्रयास अच्छा है । आप कवि , लेखक तो पहले ही थे अब इस रूप में देख सुखद अनुभूति हो सरही है ।

अनिल कान्त 9 April 2009 at 12:13  

नीशू भाई ये बिना किसी सोफ्टवेयर की एडिटिंग के आवाज़ है ...और हाँ मैं आपकी बात पर जरूर गौर करूँगा ...आगे से पूरी कोशिश रहेगी

Unknown 9 April 2009 at 12:28  

बिल्कुल अनिल जी रिकार्डिंग से पता चल रहा है । सुनो ना सुनो ना यह गीत आपने बेहतर तरीके से गाया है पहले वाले गीत की तुलना में । अनिल जी संगीत का साथ हो जाने गीत और भी सुन्दर लगने लगता है ।

दिगम्बर नासवा 9 April 2009 at 12:29  

अनिल जी
आपकी आवाज़ मधुर है.............नाजा आ गया गीत सुन कर

अनिल कान्त 9 April 2009 at 12:39  

shukriya neeshoo bhai, digambar ji, himanshu ji

mehek 9 April 2009 at 12:43  

bahut achhi aawaz hai,gaana sunana madhur anubhav raha.

L.Goswami 9 April 2009 at 13:00  

सुन्दर !!..आपकी आवाज मधुर है ..दूसरा गाना ज्यादा अच्छा लगा

आलोक सिंह 9 April 2009 at 14:34  

अभी तो मैं आप का गाना नहीं सुन पाया (ऑफिस में हूँ ). पर रात को जरुर सुनुगा !

परमजीत सिहँ बाली 9 April 2009 at 14:51  

बहुत बढिया गाया है।अच्छी आवाज है।

ताऊ रामपुरिया 9 April 2009 at 15:13  

बहुत मस्त आवाज है भाई.
रामराम.

मोहन वशिष्‍ठ 9 April 2009 at 16:29  

भाई अभी सुन नहीं पाया सुनूंगा जरूर एक बात और अगर डाउनलोड करने का ऑप्‍शन भी रख दें तो बहुत ही अच्‍छा लगेगा

आशीष कुमार 'अंशु' 9 April 2009 at 16:40  

Likhana-gana dono jaari rakho.. shubhakamana.

संगीता पुरी 9 April 2009 at 16:50  

कितनी प्रतिभा है तुममें ... बहुत अच्‍छा लगा तुम्‍हारा गाना।

रंजू भाटिया 9 April 2009 at 16:57  

बहुत अच्छी लगी आपकी आवाज़ ..बढ़िया है यह हुनर भी आपका

Gyan Dutt Pandey 9 April 2009 at 17:10  

बहुत बढ़िया मित्र। ब्लॉग आपकी समग्र अभिव्यक्ति का माध्यम होना चाहिये! प्रयोग विभिन्न विधाओं में जारी रखें।

Harshvardhan 9 April 2009 at 21:57  

anil ji gaana sunkar achcha laga aapki ruchi achchi hai.....

Neeraj Rohilla 10 April 2009 at 00:15  

बहुत खूब,
दूसरे गीत को खूब मन से गाया है आपने, बधाई स्वीकारें।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` 10 April 2009 at 00:25  

अनिल भाई ,
आपका गाया गीत पसँद आया -
ऐसे प्रयास करते रहीयेगा --
- लावण्या

राजकुमार ग्वालानी 10 April 2009 at 10:02  

सुर -ताल के भी धनी हैं आप- बधाई

Anil Pusadkar 10 April 2009 at 11:15  

अच्छा गाते हैं,आवाज़ भी अच्छी है,थोड़ा रियाज़ की ज़रूरत है।मुझे भी गाना गाने की इच्छा हो रही है मगर अपन टेक्निकल साईड़ मे तो सेंट-परसेंट ज़िहियेरो हैं,।गाते रहिये,गुनगुनाते रहिये॥

अनिल कान्त 10 April 2009 at 11:58  

दोस्तों आप सभी का शुक्रिया
मेरी हौसला अफजाई के लिए ...आपके कमेन्ट आये अच्छा लगा

Gaurav Misra 11 April 2009 at 07:20  

jitna achcha likhte hain gaate usse bhi achcha hain sun ke bahut achcha laga aur aasha hai ke aage bhi aap ki aawaj sun ne ka awsar milta rahega

अनिल कान्त 11 April 2009 at 09:28  

शुक्रिया गौरव भाई

राकेश खंडेलवाल 13 April 2009 at 18:39  

और हरा हो जाता मेरे उपवन का तोता
होते मेरे गीत, तुम्हारा कंठ अगर होता

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