रचना प्रक्रिया
>> 11 August 2015
रात के तीसरे पहर आपके मन के भीतर एक राग छिड़ता है. दुनिया जहाँ ख़ामोश नींद की गहराइयों में कहीं अटकी पड़ी है. मैं अपने भीतर के सच और झूठ से लड़ता. अपनी स्मृतियों का बहीखाता खोले बैठा. रात को रात न समझ दिन की तरह जिए जा रहा हूँ. और रात की ख़ामोशी का एक अपना ही संगीत बजता हुआ. बरसाती रातों का संगीत.
मौन का संगीत. गहरा और स्मृतियों में पसरता हुआ. कभी उनमें उजाला भरता है तो कभी दुखों को दूर छिटक सुख को अपने पास खींचता हुआ.
उम्र के साथ साथ अनुभवों का हर एक दिन जो नया संसार रचता चला जाता है. उसी संसार से मिलती है रचनात्मकता की लौ. जो हर नए दिन में और भी अधिक प्रकाश बिखेरती है. और मैं हर रोज़ ही इस रचनात्मक उजाले को अपने में भरता चला जाता हूँ.
मेरे भीतर चमकते हैं हज़ारों नए प्रकाश पुंज. और रूह को तराशती चली जाती है ये रचना प्रक्रिया. मन के भीतर आ आ ठहरती हैं स्मृतियाँ और आज के वर्तमान की रातों में प्रकाश फैलाता सूरज.
मैं हर इक नए दिन में बदलता ही चला जाता हूँ थोड़ा थोड़ा. वक़्त की लकीरें खिंचती चली जाती हैं. चेहरे में भर जातें हैं कई कई रंग. सुख, दुःख, प्रताड़ना, अकुलाहट, आवेग, एक धीमा धीमा बहता दरिया. कितना कुछ तो समां जाता है इन रंगों में.
जीवन के विभिन्न अर्थों को तलाशती यह रचना प्रक्रिया प्रतिदिन ही मुझे एक नई राह दिखा जाती है. और मैं इसके अर्थों, रंगों, आवाज़ों, रागों में डूब डूब जाता हूँ.
मौन का संगीत. गहरा और स्मृतियों में पसरता हुआ. कभी उनमें उजाला भरता है तो कभी दुखों को दूर छिटक सुख को अपने पास खींचता हुआ.
उम्र के साथ साथ अनुभवों का हर एक दिन जो नया संसार रचता चला जाता है. उसी संसार से मिलती है रचनात्मकता की लौ. जो हर नए दिन में और भी अधिक प्रकाश बिखेरती है. और मैं हर रोज़ ही इस रचनात्मक उजाले को अपने में भरता चला जाता हूँ.
मेरे भीतर चमकते हैं हज़ारों नए प्रकाश पुंज. और रूह को तराशती चली जाती है ये रचना प्रक्रिया. मन के भीतर आ आ ठहरती हैं स्मृतियाँ और आज के वर्तमान की रातों में प्रकाश फैलाता सूरज.
मैं हर इक नए दिन में बदलता ही चला जाता हूँ थोड़ा थोड़ा. वक़्त की लकीरें खिंचती चली जाती हैं. चेहरे में भर जातें हैं कई कई रंग. सुख, दुःख, प्रताड़ना, अकुलाहट, आवेग, एक धीमा धीमा बहता दरिया. कितना कुछ तो समां जाता है इन रंगों में.
जीवन के विभिन्न अर्थों को तलाशती यह रचना प्रक्रिया प्रतिदिन ही मुझे एक नई राह दिखा जाती है. और मैं इसके अर्थों, रंगों, आवाज़ों, रागों में डूब डूब जाता हूँ.
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